बीते चार दिन में नए संक्रमितों की संख्या 37 हुई है। गुरुवार को दिनभर में चार नए केस, वह भी उस शहर में, जो एक दिन में 40 से ज्यादा नए कोरोना मरीज सामने आने का आंकड़ा भी छू चुका है। शासन की विशेष टीम के डेरा डालने भर से, कोरोना संक्रमण की रफ्तार यदि वास्तविक रूप में कम हुई है तो काश, इस टीम को पहले ही आ जाना चाहिए था। साफ है कि उस दिशा में आगरा, उत्तर प्रदेश का 'वुहान' न बनता। बातें तो शहर में आज भी बन रही हैं, आंकड़ों को लेकर। दिमाग उधेड़बुन में जुटे हैंं। इन सब से ऊपर, दिल को सुखद अहसास दिलाने वाली बात यही है कि शहर में ग्राफ सुधर रहा है, चाहे वह फौरी तौर पर हो या स्थाई।लंबे समय बाद ताजनगरी को राहत मिलती दिख रही है। गुरुवार को दिनभर में कोरोना संक्रमण से जुड़े महज चार नए केस रिपोर्ट हुए थे। इस तरह आगरा में अब तक की कुल संख्या 789 पहुंच गई है। हालांकि 389 लोग स्वस्थ होकर घर वापसी कर चुके हैं। गुरुवार को 10 लोगों को डिस्चार्ज किया गया। वहीं मृतक संख्या में दो का इजाफा हुआ है, अब यह 27 पर पहुंच गई है। यहां स्वस्थ होने की दर अब 47.07 फीसद पर आ गई है। यह भी आने वाले समय के लिए अच्छे संकेत हैं। इससे पहले के तीन दिन में ताजनगरी में कुल 33 नए केस सामने आए थे। यह पूरा सप्ताह ही राहत भरा है।सरकारी अस्पतालों में इलाज को लेकर चिंताजनक हालात तो आज भी हैं। जिला अस्पताल में अपने मूक बधिर पिता के इलाज के लिए गुरुवार सुबह तीन घंटे युवक गिड़़गिडा़ता रहा। ढाई घंटे बाद पर्चा बना, व्हीलचेयर पर पिता को लेकर एक से दूसरे कमरे में चक्कर लगाता रहा। तीन घंटे बाद डॉक्टर ने देखा। मगर, तब तक मौत हो चुकी थी। ईदगाह निवासी सलमान ने बताया कि उसके 59 साल के पिता साहित अली मूक बधिर हैं, सुबह अचानक से तबीयत बिगड़़ गई। उन्हें सुबह सात बजे जिला अस्पताल लेकर पहुंच गए। आरोप है कि कर्मचारियों ने कह दिया कि आठ बजे के बाद पर्चे का काउंटर खुलेगा, इसके बाद ही डॉक्टर को दिखा सकते हैं। जिला अस्पताल में इमरजेंसी भी है, वहां भर्ती नहीं किया। पर्चे का काउंटर खुलने के बाद सैनेटाइज किया गया, लाइन में लगकर 9.24 पर पर्चा बन सका। पर्चे पर कमरा नंबर 24 लिखा, इसे बाद में 35 नंबर कर दिया। पिता को व्हीलचेयर पर बिठाकर 35 नंबर कमरे में पहुंचे, वहां से 31 नंबर कमरे में भेज दिया। यहां से डॉक्टर ने कह दिया कि 30 नंबर कमरे में दिखा लें। व्हीलचेयर पर पिता को बिठाकर 30 नंबर कमरे में लेकर पहुंचे, वहां से 24 नंबर में भेज दिया। यहां डॉक्टर ने देखने के बाद कह दिया कि इनकी मौत हो चुकी है। जिला अस्पताल के रिकॉर्ड में 10 बजे साहिद को मृत अवस्था में लेकर आना दर्शाया है।जिला अस्पताल में 24 घंटे इमरजेंसी सेवा है। मगर, व्हीलचेयर पर बेसुध मरीज को इमरजेंसी में भर्ती नहीं किया गया। जिससे उन्हें सुबह सात बजे ही इलाज मिल सकता था, कह दिया गया कि पर्चे का काउंटर खुलने पर ही इलाज मिल सकेगा।एसएन मेडिकल कॉलेज से आंबेडकर विवि के प्रोफेसर सहित गुरुवार को 11 मरीज डिस्चार्ज किए गए। एक मरीज हिंदुस्तान कॉलेज से डिस्चार्ज किया गया। विवि के प्रोफेसर के कोरोना पॉजिटिव आने पर एसएन में भर्ती किया गया था, उन्हें डिस्चार्ज किया गया। उनके द्वारा एक वीडियो भी जारी किया गया है, इसमें उन्होंने एसएन की व्यवस्थाएं अच्छी बताते हुए कहा कि निजी अस्पताल से अच्छा इलाज मिल रहा है। वहीं, एसएन मेडिकल कॉलेज से 11 और मरीज डिस्चार्ज किए गए। यहां से 138 मरीज डिस्चार्ज किए जा चुके हैं। अभी तक कोरोना के 789 केस आए हैं, इसमें से 389 ठीक होकर घर जा चुके हैं। इस तरह मरीजों के ठीक होने का रेट 47 फीसद है।
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