उत्तर प्रदेश के बाराबंकी की लोनीकटरा पुलिस ने कछुआ मांस तस्करी का राजफाश किया है। उत्तर भारत में कछुआ मांस तस्करी का पहला मामला है। यह मांस उत्तराखंड ले जाया जा रहा था। पुलिस ने उत्तराखंड, रायबरेली, लखनऊ निवासी छह लोगों को गिरफ्तार कर 120 किलो मांस बरामद किया है।पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी ने बताया कि लोनीकटरा के निरीक्षक अशोक यादव ने रायबरेली से आ रहे एक वाहन में कछ़ुआ का मांस होने की सूचना पर 27 जुलाई की दोपहर घेराबंदी कर उसे रोका। इसके पीछे आ रहे बाइक सवार यह देखकर भागने लगा तो पुलिस ने उसे भी पकड़ लिया। वाहन की तलाशी ली तो उसमें थर्माकोल के डिब्बों में मछली और मछली के नीचे कछुए का मांस बर्फ के साथ छिपा हुआ था। जानकारी होने पर वाइल्ड लाइफ क्राइम ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) के विशेषज्ञ एसपी ने इस संबंध में जांच पड़ताल शुरू कर दी। इंंटर पोल से लेकर डब्ल्यूसीसीबी, कछुओं पर काम करने वाली संस्था टीएसए सहित तमाम लोगों से बात की तो पता चला कि यह उत्तर भारत में अपने-आप में पहला मामला है। अभी तक जिंदा कछुआ की तस्करी के अंतरराष्ट्रीय मामले सामने आए हैं।मुख्यरोपित रामानंद भगत मूल रूप से बंगाल का निवासी है, जोकि उत्तराखंड के उधमसिंह नगर के किच्छा थाना क्षेत्र के कनकपुर में रहता है। उसके साथ रायबरेली के खीरो थाना क्षेत्र के सेमरी गांव निवासी गुड्डू, बरमनखेड़ा सेमरी निवासी कमलेश और लखनऊ के पीजीआई थाना क्षेत्र के ग्राम बाबूखेड़ा निवासी विशाल, राकेश और बरौली निवासी सलमान शामिल हैं।पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी के मुताबिक, नए तरीके से तस्करी के ऐसे मामलों पर अंकुश लगाने के लिए डब्ल्यूसीसीबी सहित कई संस्थाओं से वार्ता की गई है, ताकि राष्ट्रीय स्तर पर अलर्ट भी घोषित किया जा सके। यह मांस खाने के लिए तस्करी किया जाता है। रामानंद इसको उधम सिंह नगर, पीलीभीत व आसपास जिलों सहित बंगाली बस्तियों में सप्लाई करता है।
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