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पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में नहीं चाहते कई राज्य, राजस्व पर बुरा असर पड़ेगा


🗒 शनिवार, अक्टूबर 06 2018
🖋 विक्रम सिंह यादव, प्रधान संपादक
पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में नहीं चाहते कई राज्य, राजस्व पर बुरा असर पड़ेगा

 पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम को देखते हुए पिछले कई महीनों से इन्हें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने की मांग उठ रही है। लेकिन शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से राज्यों के राजस्व पर बेहद बुरा असर पड़ेगा।

इन मुख्यमंत्रियों का कहना था कि राज्य के राजस्व के तीन प्रमुख स्रोतों में एक पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से उनकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाएगी। कार्यक्रम में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस शामिल थे।कांग्रेस शासित पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने एक चर्चा के दौरान कहा कि उनके राज्य की माली हालत ठीक नहीं है। पिछले वर्ष जीएसटी लागू होने के बाद राज्य की अर्थव्यवस्था पूरी तरह केंद्र पर आश्रित हो गई है। उन्होंने कहा, 'राज्य को चलाने के लिए हमारे पास रकम नहीं है। जीएसटी के बाद हम पूरी तरह केंद्र पर आश्रित हैं और हमारे पास कुछ बचा नहीं है। हमारे यहां कृषि को छोड़कर और कोई उद्योग नहीं है। उस पर से पड़ोसी हमारा दुश्मन है।'सिंह ने कहा कि उनके पास राजस्व के सिर्फ तीन साधन हैं। इनमें ईधन, एक्साइज ड्यूटी और संपत्तियों के हस्तांतरण से मिलने वाली स्टांप ड्यूटी शामिल हैं। सिंह के मुताबिक राज्य में रियल एस्टेट क्षेत्र ने अपेक्षित गति नहीं पकड़ी। ऐसे में राजस्व के लिहाज से पेट्रोल-डीजल का जीएसटी के दायरे से बाहर रहना ही बेहतर है।

वहीं, कुमारस्वामी ने कहा कि राज्यों को संविधान में कई अधिकार दिए गए हैं। लेकिन उन अधिकारों पर आहिस्ता-आहिस्ता केंद्र का नियंत्रण बढ़ रहा है। कर संग्रह में राज्यों के पास अब कुछ बचा नहीं है।पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे लाने की कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मांग को कुमारस्वामी ने निजी राय बताया। गौरतलब है कि कांग्रेस के समर्थन से ही कर्नाटक में कुमारस्वामी के नेतृत्व में जनता दल-सेक्युलर की सरकार चल रही है।दूसरी तरफ, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फड़नवीस ने कहा कि वे अमरिंदर सिंह की राय से एक हद तक सहमत हैं। उन्होंने माना कि जीएसटी लागू होने के बाद राजस्व संग्रह की राज्यों की शक्ति बेहद सीमित हो गई है। लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि कभी न कभी पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना ही होगा।

सरकार ने निवेशकों को आश्वस्त किया है कि ईधन दरों को नियंत्रण वाले दौर में लाने का उसका कोई इरादा नहीं है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को सोशल मीडिया के माध्यम से कहा कि तेल की दरों को नियंत्रण वाले दिनों में वापस नहीं लाया जाएगा।सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर शुल्क ढाई रुपये कम कर दिया था, जिसमें एक रुपया ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को वहन करना था। इसके बाद गुरुवार और शुक्रवार को शेयर बाजारों में तेल कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट आई। शुक्रवार को कारोबार के आखिर तक ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के शेयर 52 सप्ताह के निचले स्तर तक लुढ़क गए।

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