हाथरस, हाथरस जिले के बूलगढ़ी कांड के बहाने जातीय हिंसा फैलाने की साजिश मामले में चंदपा कोतवाली में दर्ज मुकदमे को मथुरा के मांट थाने में दर्ज मुकदमे में समाहित कर दिया गया है। दोनों ही मुकदमों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) और उसके सह संगठन कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआइ) के चार सदस्यों के नाम शामिल हैं। सीजेएम कोर्ट ने चारों आरोपितों के वारंट निरस्त करने के आदेश दिए हैं। अब इस मामले की सुनवाई मथुरा के न्यायालय में होगी।हाथरस जिले के बूलगढ़ी में बवाल के दौरान जातीय हिंसा फैलाने की साजिश हुई हुई थी। इंटरनेट मीडिया पर तरह-तरह के वीडियो, ऑडियो के जरिए जातीय उन्माद फैलाने के प्रयास किए गए। इसी आधार पर कोतवाली चंदपा में चार अक्टूबर को अज्ञात लोगों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह समेत 20 संगीन धाराओं में मुकदमा संख्या दर्ज किया गया।पांच अक्टूबर को मथुरा के मांट में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) और उसके सह संगठन कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआइ) के चार सदस्य पकड़े गए, जो हाथरस ही आ रहे थे। पकड़े गए चारों आरोपित अतीकुर्रहमान, सिद्दीकी, मसूद अहमद और मोहम्मद आलम के नाम इस मुकदमे में शामिल किए गए। इधर, चारों आरोपित के खिलाफ मांट थाने में राष्ट्रोह समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। दोनों ही मुकदमों की जांच एसटीएफ की नोएडा टीम कर रही है।चंदपा कोतवाली में दर्ज मुकदमे की विवेचना सीओ एसटीएफ विनोद सिंह सिरोही कर रहे हैं, वहीं मांट में दर्ज मुकदमे की विवेचना सीओ एसटीएफ आरके पालीवाल कर रहे हैं। चारों आरोपित मथुरा जेल में बंद हैं। दोनों ही मुकदमों में एक जैसा अपराध और आरोपितों के नाम एक ही होने के कारण शाासन की सहमति के बाद समाहित कर दिया गया है।
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