ब्यूरो चीफ विजय सिंघल
मथुरा के फरह में सूरत की घटना के बाद प्रशासन ने यहां भी कोई सवक नहीं लिया है | फरह कस्बे में ही आधा दर्जन कोचिंग संस्थान व स्कूल है | कुछ कोचिंग संस्थान तो ऎसे हैं जिनमें पंखे तक पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं है | आग बुझाने के सिलिंडर या अन्य उपायों की कल्पना तो बेमानी होगी | इसके अलावा कई स्कूल ऎसे भी कस्बे में संचालित हैं जिनकी मान्यता पांचवी और आठवीं तक है, किंतु कक्षाएं इंटर क्लास तक लगाई जा रही है | जिनमें बैठने की भी व्यवस्था नहीं है | इसके अलावा फरह ब्लॉक के बिभिन्न गांवों में 2 दर्जन से अधिक हाईस्कूल व इंटर कॉलेज है | इनमे आपको आग बुझाने के फौरी उपाय कुछ भी नजर नहीं आएंगे ‘| बच्चो की जिन्दगी से खिलवाड़ करते ये स्कूल अविभावको से पेसे एठने वाली दुकान बनकर रह गए हैं’| यही नहीं पिछले साल यहां कई स्कूलों को नियमों की अनदेखी कर मान्यता दी गई | निजी स्कूलों के अलावा यहां सरकारी स्कूलों में भी बच्चों की जिन्दगी दाव पर लगी है | इनमें आग बुझाने के उपायों की कल्पना तो कोरा ख्वाव होगा ही वरन बच्चों के गले तर करने के लिए पानी तक नहीं है | जबकि नियमानुसार स्कूल कक्ष के हर कमरे में एक आग बुझाने की गैस भरा सिलिंडर व रेत से भरी कम से कम 4 या 5 बाल्टी होना जरूरी है |
सिलिंडर है किन्तु उनमें गैस नहीं
यहां कई उच्च शिक्षण संस्थानों में सिलिंडर तो दीवारों पर लगे मिल जाएंगे किन्तु उनमे गैस नहीं है | एक शिक्षण संस्थान के निदेशक ने बताया कि सिलेंडर तो काफी समय से हैं किन्तु आज तक उनकी कोई जरूरत नहीं हुई तो संभवतया उनमे गैस भी नहीं होगी | इसके अलावा वे दीवारों पर टंगे कंडम भी हो चुके हैं |
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