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सीमावर्ती क्षेत्रों में फर्जी आधार कार्ड से नेपाली बन रहे भारतवासी


🗒 मंगलवार, अप्रैल 12 2022
🖋 विक्रम सिंह यादव, प्रधान संपादक
सीमावर्ती क्षेत्रों में फर्जी आधार कार्ड से नेपाली बन रहे भारतवासी

नई दिल्ली। भारत-नेपाल सीमा पर खतरा केवल जनसांख्यिकीय संतुलन बदलने और मदरसों की संख्या बढ़ने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए नेपालियों को अनधिकृत तरीके से भारतवासी बनाने की गहरी साजिश भी चल रही है। इसके लिए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में बाकायदा रैकेट सक्रिय हैं, जो फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नेपाली नागरिकों के आधार कार्ड बनवा रहे हैं। देश के कई शहरों में रोहिंग्या मुस्लिमों के पास नकली आधार कार्ड मिलने की घटनाएं सामने आने के बाद अब नेपाल से लगी सीमाओं पर इस साजिश ने चिंता बढ़ा दी है। कुछ समय पहले एक चीनी नागरिक भी नेपाल सीमा पर नकली आधार के साथ पकड़ा गया था। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पर्दाफाश किए जाने के बाद भी इस जालसाजी पर अंकुश नहीं लग पा रहा। आधार कार्ड से नेपाली सीमावर्ती क्षेत्रों में बैंक खाता खुलवाने से लेकर जमीन खरीदने तक का काम कर रहे हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ भी ले रहे हैं।उप्र के सोनौली सीमा क्षेत्र में जालसाज नेपाली नागरिकों से 10-10 हजार रुपये लेकर उनका आधार कार्ड बना रहे हैं। जालसाज ग्राम प्रधान की फर्जी मुहर, अन्य अभिलेखों और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) द्वारा दी गई आइडी का प्रयोग करते हैं। आठ मार्च 2021 को फरेंदा डाकघर के प्रभारी पोस्टमास्टर सुदीप कुमार की आइडी पर नेपाली नागरिकों का आधार कार्ड बनाए जाने का मामला प्रकाश में आया था। मास्टरमाइंड विमलेश इसी डाकघर में काम करता था और गोरखपुर के कैंपियरगंज स्थित एक साइबर कैफे में उसका भाई आधार कार्ड के लिए जरूरी प्रमाणपत्र तैयार करता था। पुलिस ने मामले में मनी एक्सचेंजर दिलशाद, विमलेश विश्वकर्मा व आटो चालक अमरनाथ को गिरफ्तार किया था। डाक विभाग की तरफ से भी जांच चल रही है। वहीं, 10 जुलाई 2018 को चीनी नागरिक लीजीकुन को सुरक्षा एजेंसियों ने सोनौली सीमा पार करते हुए दबोचा था। जांच में पता चला कि उसने स्टीवेन जान नाम से अपना आधार कार्ड बनवाया था। 11 फरवरी 2022 को पुलिस व एसटीएफ की टीम ने नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र से मैनुद्दीन कुरैशी, श्यामसुंदर चौहान, आशु थापा व नरेंद्र प्रताप को गिरफ्तार किया था।बिहार के सीतामढ़ी जिले के नेपाल से सटे कुछ क्षेत्रों में फर्जी आधार कार्ड बनाने का खेल चल रहा है। सितंबर, 2021 में सीमावर्ती परिहार प्रखंड के मुजौलिया बाजार में पुलिस ने छह दुकानदारों को जेल भेजा था। मधुबनी जिला के नेपाल से सटे क्षेत्रों में जन वितरण प्रणाली की करीब छह दर्जन दुकानों पर 10 से 15 नेपाली मूल के ग्राहक भारतीय आधार कार्ड केआधार पर खाद्यान्न व अन्य योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। पश्चिम चंपारण में सिकटा और मैनाटांड़ प्रखंड के सैकड़ों लोगों के पास दोहरी नागरिकता है। वर्ष 2009 में सिकटा में एक नेपाली नागरिक का निवास प्रमाण पत्र बनाने के मामले में तत्कालीन पंचायत सचिव, मुखिया और ब्लाक विकास अधिकारी पर प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी। नेपाल के भिस्वा के एक व्यापारी परिवार का नाम भी सिकटा पंचायत की मतदाता सूची में जुड़ गया था। हालांकि किशनगंज, अररिया और सुपौल में नेपाल की जिस युवती की शादी होती है, उसका आधार कार्ड बन सकता है।सामरिक रूप से संवेदनशील उत्तराखंड में आधार कार्ड बनवाकर नेपाली लोग भारतीय बन बैठे हैं। सबसे खराब स्थिति चीन व नेपाल से सटे पिथौरागढ़ जिले की है। चंपावत व ऊधम सिंह नगर में भी यह खेल चल रहा है। हल्द्वानी में गणेश कत्था फैक्ट्री के परिसर व आसपास करीब 60 नेपाली परिवार रह रहे हैं। इन्होंने स्थानीय ग्राम प्रधान की मदद से आधार कार्ड बनवाए और राशन समेत सरकारी सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। रामनगर में माओवादी गतिविधियों की जांच के दौरान पुलिस टीम को आठ नेपाली परिवारों के पास आधार कार्ड के साथ राशन कार्ड भी मिले, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार चीन सीमा से सटे और नेपाली सीमा से लगे पिथौरागढ़ से जुड़े बागेश्वर में 100 नेपाली परिवारों को आधार कार्ड जारी किए गए हैं। आधार कार्ड के खेल में हरियाणा के अंबाला शहर से भी तार जुड़े हैं। वहां के एक पब्लिक स्कूल की बस में परिचालक प्रेम सिंह पुत्र रन सिंह निवासी ग्राम सिराड़, जिला दार्चुला, नेपाल ने 21 जुलाई 2015 को पिथौरागढ़ जिले में सीमा सुरक्षा बल के जवानों को बताया कि हरियाणा में ही पांच हजार रुपये देकर आधार कार्ड बनवाया। 2020 के बाद जांच प्रक्रिया कड़ी होने से मामले पकड़ में आए हैं। एक प्रधान के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया है।इस मामले को लेकर महाराजगंज (उत्तर प्रदेश) के पुलिस अधीक्षक प्रदीप गुप्ता ने कहा कि नेपाली नागरिकों का फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले गिरोह के खिलाफ कार्रवाई की गई है। साइबर सेल को भी विशेष सतर्कता के निर्देश दिए गए हैं।इस पर पुलिस उपमहानिरीक्षक (कुमाऊं) निलेश आनन्द भरणे ने कहा कि नेपालियों के आधार कार्ड बनवाने के फिलहाल नए मामले सामने नहीं आए हैं। सीमावर्ती जिले में समय-समय पर जांच की जाती है।

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