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तमिलनाडु में मंदिरों को नियंत्रण में लेने के कानून पर राज्य सरकार को SC की नोटिस


🗒 सोमवार, अगस्त 29 2022
🖋 विक्रम सिंह यादव, प्रधान संपादक
तमिलनाडु में मंदिरों को नियंत्रण में लेने के कानून पर राज्य सरकार को SC की नोटिस

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में मंदिरों को नियंत्रण में लेने के कानून को चुनौती देने वाली भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को मंदिरों में पुजारी नियुक्त करने से रोकने की अंतरिम मांग पर भी नोटिस जारी किया है। स्वामी ने तमिलनाडु के हिंदू रिलीजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट (एचआरसीई) एक्ट की कुछ धाराओं को चुनौती दी है। याचिका में इन प्रविधानों को रद करने की मांग करते हुए कहा गया है कि ये संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता) और 25, 26 (धार्मिक स्वतंत्रता) के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।सोमवार को यह मामला जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगा था। कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए इसे भी पहले से इसी मामले में लंबित याचिकाओं के साथ सुनवाई के लिए लगाने का आदेश दिया।स्वामी ने याचिका में तमिलनाडु के कानून को चुनौती देते हुए कहा कि इस कानून के जरिये राज्य सरकार ने करीब 40,000 हिंदू मंदिरों को अपने नियंत्रण में ले लिया है। राज्य सरकार ने ऐसा करके हिंदुओं को संविधान में मिली पूजा अर्चना, धार्मिक संस्था के प्रबंधन और धर्म के प्रचार की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को नजरअंदाज किया है। इस कानून के तहत मंदिर में प्रबंधन और कामकाज के लिए सरकारी कर्मचारी को नियुक्त किया जा सकता है जिसमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मंदिर में पुजारी नियुक्त करना भी शामिल है।कानून की धारा 47 और 49 राज्य सरकार और उसके अधिकारियों को हिंदू मंदिर में ट्रस्टी नियुक्त करने का अधिकार देती हैं। धारा 48 राज्य सरकार को मंदिर के बोर्ड आफ ट्रस्टी के चेयरमैन की नियुक्ति का अधिकार देती है। धारा 53 राज्य सरकार को हिंदू मंदिर में ट्रस्टी को हटाने, बर्खास्त और निलंबित करने का अधिकार देती है। धारा 21 और 23 कमिश्नर को हिंदू मंदिरों व हिंदू धार्मिक संस्थाओं के निरीक्षण का अधिकार देती हैं। धारा 27 कहती है कि सरकार के आदेश ट्रस्टियों पर बाध्यकारी होंगे।याचिका में कहा गया है कि मंदिर का प्रबंधन करना धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक संस्था के प्रबंधन के अधिकार के तहत आता है। याचिका में तमिलनाडु के हिंदू रिलीजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट (एचआरसीई) एक्ट की धारा 21, 23, 27, 28, 47, 49, 49बी, 53, 55, 56 और 114 को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है।

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