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उत्तर प्रदेश मे अपराध की चुनौतियों के साथ कदमताल, गृह विभाग का बजट 11.50% बढ़ा


🗒 बुधवार, फरवरी 19 2020
🖋 विक्रम सिंह यादव, प्रधान संपादक
उत्तर प्रदेश मे अपराध की चुनौतियों के साथ कदमताल, गृह विभाग का बजट 11.50% बढ़ा

बदलते अपराध की चुनौतियों के साथ पुलिस का कदमताल जारी है। साइबर अपराध से लेकर बढ़ती आतंकी गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार आधुनिकीकरण के साथ प्रदेश पुलिस के बुनियादी ढांचे को भी लगातार मजबूत कर रही है। यह दूरदर्शी सोच सरकार के बजट में भी झलकती है। दो सालों में पुलिस विभाग में नई भर्तियों का रास्ता खोलने के साथ ही पुलिस लाइन, प्रशिक्षण केंद्र, बैरक, हॉस्टल, थानों व अन्य आवासीय भवनों के निर्माण की बुनियाद रखी गई है। गृह विभाग (पुलिस) के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 में कुल 27286.69 करोड़ रुपये के प्रस्तावित बजट में सरकार ने पुलिस आधुनिकीकरण की अपनी मुहिम को गति दी है। पिछले बजट की तुलना में इस बार लगभग 2912 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी का कहना है कि पिछले बजट के मुकाबले इस बार पुलिस को 11.50 फीसद अधिक धनराशि दी गई है। इसमें खासकर कागज, पेट्रोल व मेंटेनेंस से जुड़े अन्य मदों में 16 फीसद की बढ़ोत्तरी कर पुलिस की रोजाना की जरूरतों का भी विशेष ध्यान दिया गया है।सच तो यह है कि यूपी पुलिस बीते तीन सालों में कई बड़े बदलावों की गवाह बनी है। नए डीजीपी मुख्यालय से लेकर यूपी 112 की अत्याधुनिक तकनीक ने उसे अन्य राज्यों की पुलिस के मुकाबले दो कदम आगे खड़े होने का मौका दिया है। पुलिस के पास अब नए वाहन भी हैं। पुलिस कमिश्नर प्रणाली सबसे बड़ी छलांग है।बीते दो सालों में 4621 उपनिरीक्षक व समकक्ष पदों पर भर्तियों के अलावा नागरिक पुलिस के 56938 व पीएसी के 24407 जवानों की भर्ती की कार्रवाई पूरी हुई हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस की आवासीय व्यवस्थाओं व कार्यालयों को दुरुस्त करने के कड़े निर्देश दिए थे। पुलिस का बजट भी गवाह है कि सरकार ने खाकी की तस्वीर बदलने के लिए कहीं कंजूसी नहीं की है। वित्तीय वर्ष 2019-2020 में गृह विभाग के बजट में रिकार्ड 42.24 फीसद की वृद्धि देखने को मिली थी। इस बार भी पुलिस को हर क्षेत्र में मजबूती देने का ख्याल रखा गया है।प्रदेश की सत्ता संभालने के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेहतर कानून व्यवस्था पर खासा जोर दिया है। इस बड़ी चुनौती से निपटने की दिशा में ही कदम बढ़ाते हुए पुलिस को सुविधा-संसाधन संपन्न बनाने का सरकार का प्रयास है। बढ़ते साइबर क्राइम के बीच पुलिस कर्मियों की तकनीकी दक्षता पर नजर है। यही वजह है कि लखनऊ में पुलिस फोरेंसिक विश्वविद्यालय और जिलों में विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं के निर्माण का फैसला लिया गया है। पुलिसकर्मियों को बेहतर आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के हिमायती रहे योगी ने बजट में इसका ख्याल रखा है। साथ ही, अग्निकांड की घटनाओं की रोकथाम के लिए अग्निशमन विभाग को मजबूत करने की व्यवस्था भी बजट में की गई है।जरात स्थित रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय की तर्ज पर जल्द लखनऊ में उप्र पुलिस फोरेंसिक विश्वविद्यालय की नींव रखी जाएगी। बजट में इसके लिए 20 करोड़ रुपये की व्यवस्था कर पहला कदम बढ़ा दिया गया है। डीजीपी मुख्यालय ने अगस्त 2019 में पुलिस फोरेंसिक यूनिवर्सिटी का प्रस्ताव शासन को भेजा था। यूनिवर्सिटी के लिए लखनऊ की सरोजनीनगर तहसील में करीब 15 एकड़ भूमि चिह्नित की गई है। यूनिवर्सिटी के निर्माण में करीब 350 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है। इस विश्वविद्यालय में फोरेंसिक साइंस के विभिन्न पाठ्यक्रमों के अलावा पुलिस अधिकारियों के ट्रेनिंग कोर्स व पुलिस प्रशिक्षण को और बेहतर करने के शोध भी होंगे। यूनिवर्सिटी के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों के करीब 496 पद भी प्रस्तावित किए गए हैं।

बजट के पिटारे से

  • पुलिस के आवासीय व अनावासीय भवनों के लिए - 1550 करोड़
  • पुलिस बल आधुनिकीकरण योजना के लिए- 122 करोड़
  • अग्निशमन केंद्रों के आवासीय व अनावासीय भवनों के लिए 150 करोड़
  • विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं के निर्माण के लिए 60 करोड़
  • सेफ सिटी लखनऊ योजना के लिए 97 करोड़
  • शहीद अथवा घायल पुलिसकर्मियों व अग्निशमन सेवा कर्मियों के परिवारों को अनुग्रह भुगतान के लिए 27 करोड़
  • अग्निशमन सेवा को सुदृढ़ करने के लिए 10 तथा सोलर पावर प्लांट लगवाने के लिए 20 करोड़
  • सेंट्रल विक्टिम कंपनसेशन फंड स्कीम के तहत एसिड अटैक, दुष्कर्म, मानव तस्करी अथवा हत्या जैसे मामलों में आर्थिक सहायता के लिए 28 करोड़
  • स्टूडेंट पुलिस कैडेट योजना के लिए 14 करोड़
  • साइबर क्राइम प्रिवेंशन अगेंस्ट वुमेन एंड चिल्ड्रेन के तहत तीन करोड़।

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