
देश की आजादी का जशन 15 अगस्त को मनाया गया आजादी का पर्व 72 वर्ष का हो गया और इस पर्व को मनाने के लिए देश की करोड़ो जनता ने अपनी अहम भूमिका निभाई। देश की आजादी का जशन हर राज्य में भिन्न भिन्न प्रकार से मनाने के लिए हर वर्ग और जाति के लोगों ने यादगार बना दिया कही देशभक्ति के गीतों पर झुमते हुए नागरिक और तिरंगे को सलामी देते हुए देश का हर वर्ग चाहे महिलाओं हो या फिर बजुर्ग अपनी भुमिका बखुभी निभाई। देश की राजनधानी दिल्ली के लाल किले से दिया हुआ संदेश सभी नागरिकों ने सुना ये भाषण का कम्र भी आज 72 वर्ष का हो गया देश के लाल किले से दिया हुआ भाषण कही ना कही देश के करोड़ो भारतीयों के भीतर जोश भर ही जाता है। लेकिन उनके जहन में एक सवाल बार बार उनको भीतर से खाये भी जाता है कि यदि हम भारतीय आजाद है तो आजादी के जशन पर क्यों बार बार सवाल उठ ही जाते है ऐसे सवाल जो हर कोई पूछता है कि जब देश आजाद है तो क्यों महिलाओं पर उत्पीडऩ की घटनाऐं थम नही रही, क्यों महिलाओं को शिकार बनाने वाले दरिदोंं को कानून का डर नही, क्यों किसी अपराधी को सजा दिलवाने के लिए सडक़ों पर ही उतरना पड़ता है यदि देश आजाद है तो ये महिलाऐं आज भी अपने आप को सुरक्षित नही मानती कई प्रकार प्रथाएं जो पिछले काफी वर्षाे से चली आ रही थी वह इतना बड़ा रूप लेकर उबर रही है कि किसी भी सरकार के पास उसका समाधान नही।
यदि देश आजाद है तो क्यों रोटी के कारण देश के नागरिक तिनका तिनका मर रहे है और उसका समाधान करने की वजह राजनीतिक लोग उस पर भी राजनीति करने से बाज नही आते यदि देश आजाद है तो क्यों मूलभूत सुविधाओंं से देश के नागरिकों की जानें जा रही है कहां जाता है कि भारत को देखना है तो गांव में जाना पड़ेगे जाना पड़ेगा उस देश के ग्रामीण इलाकों में जहां आज भी गंदा पानी पी कर अपनी ही जान को बचाने में इसी देश के नागरिक लगे हुए है । यदि देश आजाद है तो कही शिक्षा के अभाव में आज भी देश के नागरिकों को शिक्षा नही मिल रही है कही सडक़ तो कही बिजली ना होने की आवाज बार बार उठती रही है क्या सच में देश आजाद है तो क्यों बार बार देश की राजधानी दिल्ली के लाल किले से कभी भ्रष्टचार, रिश्ववतखोरी, दलित, न्याय, हर नागरिक को भोजन का अधिकार,और ना जाने कितने मुद्दे देश की जनता के सामने उठाए जाते है और समाधान कोई नही करता केवल राजनीति का रूप लेकर जनता के बीच परोसा जाता है देश को आजादी तो मिली लेकिन आज भी आजादी का तात्पर्य समझ नही आया और देश के प्रधानसेवको को भाषण सुनना शायद देश की करोड़ो जनता को समझ आने लगा है कि भाषण तो भाषण होता है उसके मायने कुछ और ही निकल कर आते है। देश को भ्रष्टाचारी खाये जा रहे है रिशवतखोरी से देश में ना जाने कितने नागरिकों की जान पर दाव पर लगा दिया जाता है और देश के नागरिक चुप चाप इस तमाशे को देखते ही रह जाती है कोई कुछ कर रही सकता। भीड़तंत्र लोकतंत्र पर हावी होता जा रहा है भीड़ बन कर किसी कि भी जान ले लो तो कानून कुछ कर नही सकता। देश की रक्षा करने वाले जवानों के सिर काट लिए जाते है और हमें आजादी का पाठ पढ़ाया जा रहा है किसान कर्ज ना चुकाने के कारण हर रोज मौत को गले लगा रहा है। राजनीति में भ्रष्टचारी, अपराधी, और अशिक्षित अपनी पैठ बना रहे है देश को शिखर पर ले जाने की बात कर रहे है और पढ़े लिखे लाखों नौजवान नौकरी ना मिलने के सडक़ो पर आ रहे है बेराजगारी के कारण युवा हताश है। फिर भी हम आजाद है आजादी आखिर है क्या अमीर और अमीर होता चला जा रहा है गरीब को खाने के लाले पड़े है, देश में अमीर लोग जनता का पैसा लेकर फरार हो रहे है और देश के गरीब पैसा ना चूकाने के कारण अपने ही देश में मौत का गले लगा रहा है देश मेें न्याय पाने के लिए शव को सडक़ो पर रख कर न्याय की भीख मागंना इसी आजाद भारत की दास्ता ब्यान करता है और ना जाने कितनी ही घटनाएं देश के सामने आजादी की पोल खोल रही है लेकिन हम मशगुल है आजादी का जशन मनाने में आजादी के जिन्होने अपने प्राणों को हसंते हसंते त्याग दिया उनको भी एक साल में याद कर ही लिया जाता है देश भक्ति के गीत केवल सुनने के लिए ही बजते है ताकि कार्यक्रम देशभक्ति का लगे ये कड़वा सच है भारत का जिससे हम किनारा नही कर सकते...