अब आंगनवाड़ी केंद्रों की सूरत बदल रही है। अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन (ईसीसीई) प्रोग्राम से यह बदलाव आया है। आंगनबाड़ी केंद्रों में नौनिहालों का बौद्धिक विकास हो रहा है। खेलकूद से मांस पेशियों समेत बच्चों का सर्वागीण विकास हो रहा है। जो अभी तक नहीं होता था।
यूनिसेफ और सेंटर फार लर्निग एंड रिसर्च पुणे के सहयोग से गत वर्ष जून 2016 में प्रदेश के 15 जिलों के जिला प्रोग्राम आफिसर (डीपीओ) और सीडीपीओ को डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम आफिसर्स लीडरशिप प्रोग्राम (डीपीओएलपी) के अंतर्गत पांच दिवसीय विशेष प्रशिक्षण दिया था। इसमें इलाहाबाद, श्रावस्ती, पीलीभीत, रायबरेली, मुरादाबाद, बदायूं, वाराणसी, बाराबंकी, बलरामपुर, सोनभद्र, हरदोई, मिर्जापुर, लखनऊ, सीतापुर और उन्नाव के डीपीओ और सीडीपीओ शामिल हुए थे। यूनिसेफ के शिक्षा विशेषज्ञ रित्विक पात्रा बताते हैं कि यूनिसेफ की मंशा थी कि पहले डीपीओ और सीडीपीओ को प्रशिक्षण देकर इस कार्यक्रम का पूरा उद्देश्य समझाया जाए। इसके पश्चात यह सभी अपने क्षेत्रों में जाकर इसका क्रियान्वयन करें। यूनिसेफ की यह मुहिम रंग ला रही है। एक साल से भी कम समय में इसका प्रभाव दिखाई पड़ रहा है।
एक केंद्र को बनाया मॉडल
प्रत्येक जिले के डीपीओ और सीडीपीओ ने प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अपने जनपद में एक आंगनबाड़ी केंद्र को मॉडल केंद्र बनाया। जहां पर उन्होंने प्रशिक्षण में जो भी सीखा था, उसे सुपरवाइजर और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साथ साझा किया। उन्हें गुर बताए कि कैसे नन्हें बच्चों को यह चीजें अभ्यास करके सिखानी है। इलाहाबाद में बहादुरपुर ब्लाक में मलवान बुजुर्ग आंगनबाड़ी केंद्र को सबसे पहले मॉडल सेंटर बनाया गया। डीपीओएलपी प्रशिक्षण में इलाहाबाद से डीपीओ डीके सिंह ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल हुए थे।
बिना सरकारी खर्च के हो रहा बदलाव
यूनिसेफ के शिक्षा विशेषज्ञ रित्विक पात्रा बताते हैं कि इस कार्यक्रम की सबसे खास बात यह है कि बिना सरकारी खर्च के यह बदलाव हो रहा है। आंगनबाड़ी केंद्र में छोटी-छोटी चीजें और लोगों के सहयोग से इसे चलाया जा रहा है। नन्हें बच्चे टायर, खिलौने व अन्य चीजों से खेल रहे हैं। पेंटिंग आदि बना रहे हैं। इससे उनका बौद्धिक विकास हो रहा है। तीन से छह वर्ष के बच्चों को प्री स्कूल की शिक्षा मिल रही है। जिससे उनका उज्ज्वल भविष्य होगा।
मांस पेशियों का हो रहा विकास
आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चे टायर में जंप करके खेलते हैं। रस्सी के नीचे से होकर गुजरते हैं। खेल में नियमों का अनुपालन किया जाता है। इस खेलकूद से बच्चों की बड़ी मांस पेशियों का विकास हो रहा है। बच्चे छोटे-छोटे कंकड़ को उठाकर इधर-से-उधर रखते हैं। इससे उनकी छोटी मांस पेशियों का विकास हो रहा है। कुल मिलाकर खेलकूद से बच्चों की छोटी और बड़ी मांस पेशियों का विकास हो रहा है।
पहला शनिवार ईसीसीई डे
ईसीसीई प्रोग्राम सफल होने पर अब आंगनबाड़ी केंद्रों में महीने में पहला शनिवार ईसीसीई डे के रूप में मनाया जाता है। निचले स्तर पर इस प्रोग्राम को व्यापक स्तर पर फैलाया जा रहा है। लोग भी प्रेरित होकर इससे जुड़ रहे हैं और सहयोग कर रहे
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